तितलियों से रंग ले आऊँ
ओस की बूंदों संग
उन्हें मिलाऊँ
जीवन के कैनवास पर
एक सुंदर चित्र बनाऊँ
जहाँ बहती है नदिया
और बहते हैं झरने
तल्खियों से परै
जहाँ हो सब अपने
पूरे हों सबके वो
प्यारे मीठे - सपने
सुरज , चाँद , सितारों से
आसमाँ सजाऊँ
फूलों से खुशबू ले आऊँ
प्रेम , करुणा , दया से
सबका मन महकाऊँ
आपका भी हाथ हो
आपका भी साथ हो
और सुन्दर से अपने
सपने को मैं सच कर जाऊँ
जीवन के कैनवास पर
एक सुंदर चित्र बनाऊँ
बहुत प्यारी कविता....सुन्दर और खूबसूरत चाहत कवयित्री की !!!
ReplyDeletebahut-bahut aabhar apka :-)
Deletesundar rachna hai ... blog pe jaroor likhte rahiye ...
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद । जरुर जिस तरह मेरे पुराने ब्लॉग " मेरा मन पंछी सा " को आपने अपना स्नेह दिया उसी तरह मेरे इस नए कदम में भी आपका आशीष चाहूंगी। muskaankikalamse.blogspot.com को भी अपना स्नेह देते रहिये। :-)
Deleteतितलियों से रंग ले आऊँ
ReplyDeleteओस की बूंदों संग
उन्हें मिलाऊँ
नाज़ुक से ख्याल ... बहुत ही लाजवाब कल्पना है
हार्दिक धन्यवाद संजय जी . मित्र हो तो आपकी तरह.. हर कदम में साथ..
Deleteबहुत प्यारी रचना |
ReplyDeleteपढ़ कर अच्छा लगा |
धन्यवाद आशा जी..
Deleteब्लॉग पर आपका स्वागत है...
:-)